चल पड़े हैं तो अब रुकेंगे नहीं,
हार के डर से झुकेंगे नहीं।
मंज़िल चाहे जितनी भी दूर हो,
हौसले हमारे कभी झुकेगा नहीं।
हौसले ही असली ताकत हैं
जब इंसान अपने सपनों की ओर पहला कदम बढ़ाता है,
तो सबसे ज़रूरी चीज़ होती है — उसका हौसला।
यह शायरी हमें यही सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों,
तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।
हार का डर तो हर किसी को लगता है,
लेकिन जो उस डर के आगे खड़े रहते हैं,
वही असली विजेता होते हैं।
मंज़िल चाहे जितनी भी दूर हो
हर सफलता की शुरुआत एक कठिन रास्ते से होती है।
रास्ते में मुश्किलें होंगी, लोग हौसला तोड़ने की कोशिश करेंगे,
लेकिन अगर आप अडिग हैं,
तो मंज़िल एक दिन ज़रूर आपके कदम चूमेगी।
इस शायरी की लाइन:
“मंज़िल चाहे जितनी भी दूर हो, हौसले हमारे कभी झुकेगा नहीं”
एक तरह से आत्मविश्वास की गूंज है।
जीवन में कभी मत रुकिए
सफर लंबा है, लेकिन रुकना मना है।
हर असफलता एक नई सीख देती है।
और हर ठोकर हमें और भी मजबूत बनाती है।
यदि आपने चलना शुरू कर दिया है,
तो फिर रुकना नहीं — चाहे कितनी भी बाधाएं आएं।
निष्कर्ष
यह शायरी सिर्फ शब्द नहीं,
बल्कि एक सोच है — एक जज़्बा है।
जो इंसान अपने डर को पीछे छोड़कर आगे बढ़ता है,
वो अंत में इतिहास रचता है।
तो चलिए, रुकिए मत — क्योंकि आप हारे नहीं हैं,
बस अभी आपकी उड़ान बाकी है।
और भी इस तरह की शायरी पढने के लिए कमैंट्स मैं जरूर अपनी राई दे
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जाते जाते एक लाइन कहता हूँ। मैं ,
के मंजिल थी मेरी भहुत दूर साही, मगर जूनून भी बहुत था उसे पाने का , जिस तरह दरया मैं डूब कर भी मैं जिन्दा हूँ|
Comments main App apni Shayari jaarur likh na, na bhole.