जब ज़िंदगी मुस्कान माँगे, लेकिन दिल रो रहा हो|
टूटी हुई उम्मीदों का सिलसिला हूँ मैं,
हँसते हुए चेहरों के पीछे छुपा ग़म हूँ मैं।
किसी ने पूछा, कैसी हो आजकल?
मुस्कुरा कर बोला – ठीक हूँ मैं…
ये शायरी महज़ अल्फ़ाज़ नहीं — ये उन लाखों लोगों का सच है जो हर दिन मुस्कुरा कर अपनी तकलीफ़ें छुपा लेते हैं।
मुस्कान की आड़ में छुपा दर्द
कई बार हम इस दुनिया के सामने खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अंदर से टूटे हुए होते हैं। यही हाल इस शायरी का है — एक मुस्कुराहट है जो सिर्फ दिखावे के लिए है, असल में अंदर से हर उम्मीद टूट चुकी है।
हर कोई पूछता है, ‘कैसी हो?’ लेकिन इस सवाल का सही जवाब किसी को चाहिए ही नहीं। इसीलिए अक्सर जवाब होता है – “ठीक हूँ मैं…”।
यह जवाब उस दर्द की चुप्पी है जो बोली नहीं जाती, सिर्फ महसूस की जाती है।
ये शायरी क्यों इतनी दिल को छू जाती है?
क्योंकि यह हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है — हर मुस्कुराता चेहरा खुश नहीं होता।
शब्दों की ये चंद पंक्तियाँ उन तमाम अनकहे एहसासों को ज़ुबान देती हैं जिन्हें हम सालों से छुपाते आ रहे हैं।
अगर आपने भी ऐसा कुछ महसूस किया है…
तो आप अकेले नहीं हैं। लाखों लोग हर दिन इस ‘ठीक हूँ मैं’ के पीछे अपना ग़म छुपाते हैं। यह शायरी उनके लिए है, जो बिना कुछ कहे बहुत कुछ सह जाते हैं।
✅ Conclusion:
“ज़िंदगी की सबसे बड़ी बहादुरी ये नहीं कि हम सबके सामने रो लें,
बल्कि ये है कि सबके सामने मुस्कुराते रहें, जब हमारा दिल टूट चुका हो।“
टूटी उम्मीदें, अधूरी बातें और छुपा ग़म… ये पोस्ट उसी दर्द का आईना है। अगर ये शायरी आपके दिल को छू गई हो, तो इसे शेयर करें — किसी को शायद आपकी यही मुस्कुराहट दिलासा दे दे।
Comment मैं अपनी राय ज़रूर दे| और भी dard-bhari-shayari-in-hindi देख ने के लिए लिंक पे क्लिक करे या Shayari page पेज पे जाय 🖊️ “क्या आपने भी कभी मुस्कराते हुए अपना दर्द छुपाया है? अपनी कहानी या एहसास कमेंट में ज़रूर साझा करें – शायद किसी और को भी सुकून मिल जाए।”