चलो फिर से वो नज़ारा याद कर लें|
“चलो फिर से वो नज़ारा याद कर लें,
शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला याद कर लें।
जिसमें बहकर आज़ादी पहुंची थी किनारे पर,
वो देशभक्तों के खून की धारा याद कर लें।”
ये शायरी सिर्फ कुछ लफ़्ज़ नहीं,
बल्कि हर उस भारतीय के लिए एक याद है|
जिसने आज़ादी की कीमत सिर्फ किताबों में नहीं,
बल्कि खून और बलिदान में महसूस की है।
🔥 शहीदों का जज़्बा — एक प्रेरणा
हम आज जिस आज़ाद फिजा में सांस ले रहे हैं,
उसके पीछे कितनी कुर्बानियाँ,
कितना दर्द, और
कितना सपना छिपा है —
इसे समझना ज़रूरी है।
उन वीर सपूतों ने हँसते-हँसते फाँसी को गले लगाया,
सीने पर गोलियाँ खाईं,
और फिर भी “वंदे मातरम्” के नारे लगाए।
आज जब हम
स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर तिरंगा लहराते हैं,
तो उस पल की गरिमा को
ये शायरी और भी भावुक बना देती है।
📖 इतिहास सिर्फ किताबों में नहीं होता
independence day Shayari in Hindi
जैसी यह रचना हमारे जज़्बातों को
शब्दों में ढाल देती है।
इस शायरी में वो ज्वाला है
जो शहीदों के दिलों में थी —
जो आज भी हर भारतीय को
कुछ करने के लिए प्रेरित करती है।
✨ निष्कर्ष
“चलो फिर से वो नज़ारा याद कर लें…”
ये सिर्फ एक भाव नहीं,
बल्कि एक जिम्मेदारी है —
कि हम न भूलें
उन लोगों को जिन्होंने
अपने आज को हमारे कल के लिए कुर्बान किया।
तो आइए, इस आज़ादी को सिर्फ त्योहार न बनाएं,
बल्कि अपने कर्म और सोच से
देश को बेहतर बनाएं।